चीन के सिर पर लटक रही ‘ट्रंप टैरिफ’ की तलवार, जानिए भारत को क्‍या होगा फायदा

 


वित्तीय क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी गोल्डमैन सैक्स का कहना है, "एशियाई ट्रेडिंग पार्टनर्स कई तरीकों से हाई टैरिफ के खतरे से बचने की कोशिश कर सकते हैं. इसमें अमेरिका से आयात में बढ़ोतरी करना भी शामिल हो सकता है."


अमेरिका में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने चीन पर हाई टैरिफ यानी ज्यादा आयात शुल्क लगाए जाने की आशंका को बढ़ा दिया है. गोल्डमैन सैक्स के अनुसार चीन के अलावा कई और एशियाई देशों को इस  संकट का सामना करना पड़ सकता है.


गोल्डमैन के मुख्य एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिस्ट एंड्रयू टिल्टन ने एक नोट में कहा कि ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से चीन के साथ अमेरिका के द्विपक्षीय व्यापार घाटे में कुछ कमी आई है, लेकिन अन्य एशियाई निर्यातकों के साथ घाटे में बढ़ोतरी हुई है. इसे लेकर कड़ी जांच शुरू की जा सकती है.


उन्होंने कहा, "ट्रंप के आने के बाद अमेरिका के द्विपक्षीय घाटे को कम करने पर फोकस करने के साथ एक जोखिम यह है कि इस बढ़ते द्विपक्षीय घाटे के कारण अंततः  "व्हेक-ए-मोल" की तर्ज पर अन्य एशियाई देशों पर भी अमेरिका में आयात शुल्क लगाया या बढ़ाया जा सकता है."


टैरिफ इंपोर्टेड सामान पर लगने वाला कर है, लेकिन इसका पेमेंट निर्यातक देश को नहीं करना होता है. इसलिए अमेरिकी टैरिफ उन कंपनियों को अदा करना होगा, जो देश में उत्पादों का आयात करना चाहती हैं. इससे उनकी लागत बढ़ जाएगी. 


टिल्टन ने कहा, "कोरिया, ताइवान और विशेष रूप से वियतनाम ने अमेरिका के मुकाबले बड़े व्यापार लाभ देखे हैं." उन्होंने कहा कि कोरिया और ताइवान की स्थिति सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में उनकी "प्रिविलेज्ड पोजीशन" को दर्शाती है, जबकि वियतनाम को चीन से व्यापार के रीडायरेक्‍शन से फायदा हुआ है. 


2023 में अमेरिका के साथ दक्षिण कोरिया का ट्रेड सरप्लस कथित तौर पर रिकॉर्ड 44.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो किसी भी देश के साथ सबसे बड़ा सरप्‍लस है. इसमें कार निर्यात की हिस्सेदारी ही अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात का करीब 30% है.


2024 की पहली तिमाही में अमेरिका को ताइवान से किया जाने वाला निर्यात 24.6 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गया, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 57.9% अधिक है, जिसमें आईटी और ऑडियो-विजुअल प्रोडक्‍ट्स के निर्यात में सबसे बड़ी बढ़ोतरी हुई है.


इस बीच, जनवरी से सितंबर के बीच अमेरिका के साथ वियतनाम का ट्रेड सरप्लस 90 बिलियन डॉलर रहा है.


गोल्डमैन सैक्स ने कहा, भारत और जापान भी अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस में हैं. जापान का सरप्‍लस स्थिर बना हुआ है, जबकि भारत का हाल के वर्षों में मामूली रूप से बढ़ा है. ऐसे में ये एशियाई देश अपने ट्रेड सरप्लस से अमेरिका का  "ध्यान हटाने" की कोशिश कई तरीकों से कर सकते हैं, जैसे कि अमेरिका से आयात में बढ़ोतरी करना. 


बार्कलेज बैंक के एनालिस्‍ट ने शुक्रवार को लिखे एक नोट में कहा, "व्यापार नीति वह क्षेत्र है, जिसके ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में एशिया के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होने की संभावना है." 


ब्रायन टैन के नेतृत्व में तैयार इस नोट में बैंक के अर्थशास्त्रियों ने लिखा कि ट्रंप के प्रस्तावित टैरिफ से क्षेत्र में अधिक खुली अर्थव्यवस्था वाले देशों को "ज्यादा दर्द" मिलने की संभावना है, क्योंकि यह ताइवान, कोरिया या सिंगापुर की तुलना में इस खतरे से अधिक प्रभावित हैं. नोट में कहा गया है, "हम थाईलैंड और मलेशिया को बीच में देखते हैं. अनुमान है कि थाईलैंड को थोड़ा अधिक नुकसान होगा." 


अमेरिकी डेटा से पता चलता है कि चीन के साथ अमेरिकी व्यापार घाटा 2016 में 346.83 बिलियन डॉलर से घटकर 2023 में 279.11 बिलियन डॉलर हो गया है. हालांकि ट्रंप के पहले कार्यकाल में टैरिफ लागू किए जाने के बाद चीन के साथ अमेरिकी व्यापार कम हो गया था. यह व्यापार वियतनाम, मैक्सिको, इंडोनेशिया और ताइवान जैसे तीसरे देशों में शिफ्ट हो गया. 


हालांकि गोल्डमैन को टैरिफ में बढ़ोतरी के बावजूद चीन से दक्षिण पूर्व एशिया, भारत और मैक्सिको से सप्लाई चेन के ट्रांसफर के लिए निरंतर दबाव बनाए जाने की उम्मीद है.


अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने सभी इंपोर्ट्स पर 10% से 20% तक का टैरिफ लगाने के अपने इरादे की घोषणा कर दी है. साथ ही चीन से आयात पर 60% से 100% तक का एडिशनल टैरिफ लगाने की भी घोषणा की है. गोल्डमैन को उम्मीद है कि अमेरिका 2025 की पहली छमाही में चीनी उत्पादों पर औसतन 20% एडिशनल टैरिफ लगाएगा.


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ