लाल किले से मोदी ने बोल दिया इतना बड़ा झूठ, बिरसा मुंडा को भी नहीं छोड़ा


अपनी बेवकूफाना और बेतुकी बातों के लिए मशहूर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से कुछ ऐसा बोल दिया है, जिसके चलते सोशल मीडिया पर उनका जमकर मज़ाक बनाया जा रहा है। 


खास बात यह है कि इस बार उन्‍होंने ये कारनामा किसी इंटरव्‍यू या रैली में नहीं, बल्कि देश के स्‍वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्‍त को लाल किले के प्राचीर से दिए गए भाषण में कर दिखाया है। 


स्‍वतंत्रता दिवस में राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में नरेंद्र मोदी ने झारखंड में भगवान की तरह पूजे जाने वाले स्‍वाधीनता सेनानी बिरसा मुंडा के बारे में एक बड़ी गलत बयानी कर दी। मोदी ने अपने भाषण में बिरसा मुंडा को 18 सौ 57 के विद्रोह से भी पहले अंग्रेजों से लोहा लेकर उनकी नाक में दम करने की बात कही, जबकि हकीकत यह है कि बिरसा मुंडा का जन्‍म इसके करीब दो दशक बाद 18 सौ 75 में हुआ था। 



मोदी ने कहा कि 18 सौ 57 के विद्रोह से पहले बिरसा मुंडा ने बीस बाईस साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष कर उनकी नाक में दम कर दिया था, जबकि वास्‍तव में उस समय बिरसा मुंडा का जन्‍म ही नहीं हुआ था। 


मोदी की इस गलत बयानी को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर मज़ाक उड़ाया जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि अपने भाषण में मोदी ने यह भी कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती आने वाली है। इस हिसाब से देखा जाए तो भी बिरसा का जन्‍म दो हज़ार पच्‍चीस से डेढ़ सौ साल पहले यानी 18 सौ 75 में होने की बात पता चलती है, पर मोदी इसे समझे बिना उन्‍हें 18 सौ 57 से पहले अंग्रेजों से लोहा लेने वाला बताते रहे। देश के प्रधानमंत्री के स्‍वतंत्रता दिवस जैसे महत्‍वपूर्ण भाषण में इतनी बड़ी तथ्‍यात्‍मक गलती के चलते लोग सवाल उठा रहे हैं कि पीएम के भाषण को आखिर कौन तैयार करता है कि इसमें आए दिन इतनी बड़ी-बड़ी तथ्‍यात्‍मक गलतियां देखने को मिलती हैं। 


मोदी इतिहास को तोड़ने मरोड़ने का कारनामा इससे पहले भी कई बार कर चुके हैं। वह सिकंदर के नालंदा तक पहुंचने की बात कह चुके हैं, जबकि सिकंदर गंगा को पार करने से पहले ही लौट गया था। वह कबीर, गुरुनानक और गुरु गोरखनाथ को समकालीन बता चुके हैं, जबकि ये सारे संत अलग-अलग समय पर हुए हैं। 


इसके अलावा अपने बारे में डींग हांकने के दौरान मोदी 19 सौ 80 के दशक में डिजिटल कैमरे से फोटो खींचकर ईमेल भेजने की बात भी कह चुके हैं, जबकि उस समय न तो डिजिटल कैमरे का आविष्‍कार हुआ था, न ही ईमेल की शुरुआत हुई थी। मोदी की इन बेतुकी बातों के चलते ही उनकी शिक्षा और‍ डिग्री पर भी अकसर सवाल उठाए जाते हैं और उनकी एम ए इन इंटायर पॉलिटिक्‍स की कथित मास्‍टर्स डिग्री के फर्जी होने का शक जताया जाता है। 


https://youtu.be/helMLhahCPo



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